Add caption |
http://jairajputanasang.blogspot.com/2016/01/2015_2.html
जय माता दी ।
भाईयो, प्रकृति के अनेकों रूप हैं, जो भिन्न-भिन्न कालखण्डों में भिन्न-भिन्न रूपों में दृष्टिगोचर होते हुए देखा जा सकता है । मानव सभ्यता के प्रारम्भ के साथ-साथ ही 'बल' की श्रेष्ठता साबित करने के लिए मानव से मानव के संघर्ष होते रहे हैं, जो कालांतर में मनुष्य को बुद्धिमान और युद्धप्रिय बनाती चली गयी । यह बात दीगर है कि आधुनिक मानव सभ्यता ने 'संस्कृति' विकसित करके सभी मनुष्यों को जीवन जीने का सामान्य अवसर उपलब्ध करवाया है । चूँकि क्षत्रिय सदैव ही शक्ति का उपासक और नियंता रहा है, और शक्ति का अर्थ केवल बाहुबल ही नहीं वरन् बाहुबल , बुद्धिबल और अर्थबल मिलकर ही शक्ति का निर्माण होता है
दिनांक 26/12/2015 को राजस्थान राज्य की बगरू के रेगिस्तान की महासमर भूमि में क्षत्रिय युवाओं का एक विराट प्रशिक्षण सम्मेलन आयोजित हुआ । बकौल प्रत्यक्षदर्शी "इस अभीष्ट सम्मेलन के प्रथम दिवस ही महासमर में प्रवेश करने के पश्चात् ऐसा प्रतीत होता है कि हम एक अलग ही दुनिया के आयाम में आ गए हैं ।" यहाँ क्षत्रिय युवाओं की टोली तलवार बाजी का प्रशिक्षण लेते समय ही अदम्य उत्साह और मनोबल से लबरेज है जो कि तलवार की टंकार के साथ वातावरण में युद्ध भूमि के कोलाहल जैसे वातावरण का निर्माण करती है । कहीं पर क्षत्रिय युवा अपने-अपने धनुष की प्रत्यंचा पर तीर चढ़ाकर सर-संधान करने को लक्षित हैं तो कुछ युवा लाठियां भांजने के अभ्यास में रत हैं । कोई दल राजपूतों के मस्तक पर सुशोभित होने वाले पारंपरिक साफा बाँधना सिखा रहा है तो कहीं आत्मरक्षा के गुर सीखने में युवा स्वंय को व्यस्त किए हुए हैं ।
इन सभी कठिन रण अभ्यासों के पश्चात सभी युवा साथी अपने कैरियर को लेकर गंभीरता के साथ अपने भविष्य निर्माण के प्रश्न-उत्तर में व्यस्त हो जाते हैं । इस महासमर का आयोजन हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अति ऊर्जावान, गौरवान्वित, संस्कारी और क्षत्रियत्व के निर्माण में पूर्ण समर्पित रहा । इस सम्यक समर्पण के पीछे जो ऊर्जा केंद्र है, उसकी यह विशेषता रही है कि इसमें शामिल सभी सदस्य गुरुत्व का भाव नहीं लिए रहता है । अपितु सभी सदस्य एक दूसरे के पूरक होते हैं, प्रधान गुरु तो केवल परमोज्ज्वल केसरिया ध्वज है जिसकी छाया में हमारे पूर्वजों को ऐतिहासिक एवम् सांस्कृतिक मार्गदर्शन मिलता रहा है और आने वाली पीढ़ियों को भी उचित मार्गदर्शन मिलता रहेगा ।
महासमर का प्रथम दिवस -
प्रथम दिवस की "आर्थिक भविष्य निर्माण कार्यशाला" में प्रख्यात पत्रकार श्रीमान वीरेंद्र सिंह जी राठौर उपस्थित हुए । आप पिंक सिटी प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं । आपने महासमर भूमि में क्षत्रिय युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारिता के कैरियर में स्वाभिमान के साथ अपना भविष्य निर्माण कैसे करे, इस पर आपने युवा मित्रों को विस्तार से समझाया और अपनी तरफ से हर सम्भव सहायता देने का भरोसा दिलाया । वहीं श्री राजपूत सभा के अध्यक्ष श्रीमान गिरिराज सिंह जी ने वर्तमान समय में युवाओं में संस्कार निर्माण की आवश्यकता को समझाते हुए सदगुणों को अंगीकार करने की सीख दी । वहीं पाली जिले से पधारे हुए वकील साहब ने अपने उद्बोधन में कहा कि "मुझे आज लग रहा है कि हमारे युवा अब दिग्भ्रमित नहीं रहे हैं, बल्कि वे ही भविष्यनिर्माता हैं और जय राजपूताना संघ सत्य भावना से क्षत्रियत्व के निर्माण में आरूढ़ है।"
सांध्यकालीन सत्र - सांध्यकालीन सत्र में इतिहास के मिथकों और भ्रांतियों के उदबेधन हेतु "निवारण सत्र" हुआ जिसमें हमारे पूर्वजों के शौर्य, त्याग बलिदान और शरणागत वात्सल्यता के साथ-साथ हमारे विरुद्ध किये गए षड्यंत्र आदि पर विस्तार से चर्चा हुई व शंकाओं का तार्किक निवारण भी हुआ ।
महासमर का द्वितीय दिवस -
महासमर भूमि में चल रहे प्रशिक्षण के द्वितीय दिवस प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व ही केसरिया ध्वज आराधना, के साथ ही महासमर योद्धाओं ने #नीले_गगन_में_केसरिया_लहराएंगे , के शौर्यपूर्ण सिंहगर्जना से शांत आकाश को गुंजायमान कर दिया । इसके साथ ही दूसरे दिन का महासमर प्रशिक्षण आरम्भ हुआ ।
महासमर के द्वितीय दिवस में निम्न विषयों पर चर्चा हुई-
1. महासमर योद्धा , सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ जितेंद्र सिंह हमीर देवका ने सॉफ्टवेयर क्षेत्र में विभिन्न विकल्पों के बारे में बताया और इसके व्यापक सम्भावनाओं पर चर्चा की । उन्होंने यह भी बताया कि क्षत्रिय युवा सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में अपना भविष्य कैसे बनाएं और कम से कम लागत में अपना व्यापार कैसे शुरू करें.., इस विषय पर विस्तार से चर्चा हुई ।
एक प्रश्न के उत्तर में अनुज हम्मीर देवका ने कहा कि - सॉफ्टवेयर व्यापार से आकर्षित हुए युवाओं को कुछ समय समय तक इस क्षेत्र में जॉब करके इस व्यापर के सूक्ष्मतम गुण-दोष को जानना और समझना चाहिए ताकि उनमे सॉफ्टवेयर व्यापार में उतरते समय उन्हें तकनीकी कौशल और प्राद्योगिकी का सम्यक ज्ञान रहे ।
2. इस चर्चा के पश्चात श्रीमान वीरेंद्र सिंह जी नांगल ने शिक्षा के क्षेत्र में युवा अपना कैरियर कैसे बनाएं, इस विषय पर उन्होंने व्यापक चर्चा करते हुए कहा कि - आज के समय में शिक्षा के विभिन्न संकायों में गरीब छात्रों को छात्रवृति देने वाली कई संस्थाएं हमारे संज्ञान में हैं । हाँ, असल समस्या यह है कि जानकारी के अभाव वश हम किंकर्तव्यमूढ़ हो जाते हैं, लेकिन पैसे के आभाव में किसी युवा की पढाई रुक जाए, ऐसा भी नहीं है ।इस चर्चा में शामिल महासमर के सभी योद्धा अत्यंत उत्साहित नजर आए ।
3. संध्या बेला की बैठक में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमान श्याम प्रताप सिंह इटावा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वर्तमान युग अर्थयुग है और हमें आर्थिक रूप से होना अनिवार्य है । इसके लिए हमारे क्षत्रिय युवाओं को व्यापार के क्षेत्र में अधिक से अधिक सक्रिय होना होगा ताकि कर्मवादी होने के साथ-साथ हम 'अर्थबल' से भी सुदृढ़ रहें ।
4. इस महासमर में आए हुए श्रीमान विक्रम सिंह दिवराला ने समाज हित में हर कदम पर साथ देने की बात कही । वहीं एक सज्जन श्रीमान बलदेव सिंह जी ने रेडीमेड कपड़ों के व्यापार से सम्बंधित मूलभूत जानकारियां विस्तार से बताई ।
5. इन सभी बौद्धिक प्रशिक्षण के साथ-साथ तलवारबाजी और निशानेबाजी का अभ्यास, लाठी चलाने का अभ्यास तथा बना अस्त्र-शस्त्र के आत्मरक्षा के सत्र भी तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार नियत समय से बिना व्यवधान के चलते रहे, जिसे देखकर इस महासमर में आगन्तुक क्षत्रिय बन्धु स्वंय को अति उत्साहित तथा ऊर्जावान अनुभव कर रहे थे ।
महासमर का तृतीय दिवस -
महासमर के तृतीय दिवस में "आर्थिक भविष्य निर्माण कार्यशाला" में ब्रिगेडियर ......... साहब ने यह कहा कि वर्तमान समय में भारतीय सुरक्षा बलों में काफी नई भर्तियां निकली हुई हैं और युवाओं को चाहिए कि वो अधिक से अधिक संख्या में भारतीय सेना का एक अंग बनकर देश और समाज की रक्षा की जिम्मेदारी ले । उन्होंने सभी युवाओं को यह भी बताया कि NCC प्रमाण पत्र से कैसे अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके और सेना में कैसे ज्वाइन करें । इस कार्यशाला में उपस्थित युवा अपने आप को अदम्य उत्साह से गदगद हुए ।
इस महासमर के दौरान तीन दिनों में युवा भाइयों ने जो सीखा , उसका शानदार प्रदर्शन भी किया । तत्पश्चात केसरिया ध्वज अवतरण के साथ ही इस त्रिदिवसीय महासमर का आयोजन सफलता पूर्वक 28 दिसंबर 2015 को संपन्न हुआ । सभी योद्धाओं ने इस महासमर में जो जीवंत और प्रचंड प्रस्तुति दी है, उसके लिए मैं भँवर रेटा हृदय से आभारी हूँ । आप सभी महासमर योद्धाओं की उपस्तिथि से जय राजपूताना संघ अभिभूत रहा है । हमें आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास भी है कि जय राजपूताना संघ के सभी सदस्य भविष्य में एकजुट और कर्मनिष्ठ रहेंगे ।
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
- भंवर रेटा, संस्थापक - जय राजपूताना संघ
No comments:
Post a Comment